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what is web browser | काम कैसे करता है जाने इसकी पूरी जानकारी

 

what is web browser






हेल्लो दोस्त स्वागत है हमारे ब्लोग्स पर  आज हम आपके लिए लेकर मौजूद है एक informative जानकरी  जो आपके लिए बहुत informative है अगर आप भी  IT के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते है तो यह जानकरी आपके लिए  बहुत महत्वपूर्ण है इस जानकरी को जानने के लिए हमारे साथ बने रहे उससे पहले अगर आप हमारे ब्लोग्स पर पहली बार आये है तो हमारे jeeindia24 को follow करना न भूले साथी शेयर करना न भूले |


what is web browser

आज कल जब भी हमें कोई भी जानकरी की  जरुरत होती तो सीधे हम इन्टरनेट  पर जाकर सर्च कर लेते है और वहा  हमें आसानी से हमारे सर्च किये गये सवाल हासिल भी हो जाती है लेकिन क्या आप जानते की ये जानकरी हमें इतनी आसानी से कहा से मिलती है हम बताते है 


Internet  से जानकारी प्राप्त करने के लिए हम कंप्यूटर ,लैपटॉप,और मोबाइल का use  करते है हम इन्टरनेट से हजारो  चिजो के बारे में जानकरी हासिल कर सकते है 


लेकिन  सभी चीजो को सिर्फ इन्टरनेट से हासिल नहीं किया जा सकता है इसके लिए  हमें किसी माध्यम की जरुरत होती है 


क्योकि हमें इन्टरनेट से जुड़ने के बाद हमें एक माध्यम की आवश्यकता होती है जहा पर हम सवाल को लिख कर सर्च कर सके और वो माध्यम हमारे द्वारा सर्च किये गए सवाल के अनुसार हमें रिजल्ट दिखा सके उस माध्यम को Web Browser कहा जाता है इन web browser के बिना इन्टरनेट जानकारी देने में सक्षम नहीं है |

web browser definition

वेब ब्राउज़र का मतलव होता है जैसे  की इसके नाम से ही पता चलता है की "web" Web का मतलव जाल ब्राउज़र का मतलव खोजना  यानि इन्टरनेट की दुनिया में जाकर इनफार्मेशन खोजना |जहा से हम इन्टरनेट  पर जाकर अपने सवाल को सर्च करते है और हमारे सामने हमारे द्वारा सर्च किये गए सवाल के अनुसार कई सारी वेबसाइट की लिस्ट जारी करता है उस लिस्ट  को जारी करने वाला वेब ब्राउज़र [Web Browser कहलाता है |



वेब ब्राउज़र की जरुरत क्यों होती है ?

web browser वो जरिया है जो world wide web  में मौजूद वेबसाइट पर मिलने वाली किसी भी तरह की  जाकारी को साझा  करता है जैसे आर्टिकल,images,न्यूज़,वीडियोस और म्यूजिक आदि चीजो को एक्सेस की अनुमति प्रदान कर करता है 



हम जो इन्टरनेट  पर सर्च करके उसे पढ़ते है  वो सभी इनफार्मेशन website के  web pages में मौजूद होती है और कंप्यूटर के भाषा में [html] लिखा जाता है जिसे ( hyper text markup language )कहा जाता है |




इसके कोड को लिख कर वेब पेजेज बनाया गया रहता है html का प्रयोग वेबसाइट के वेब पेजेज को design के लिए प्रयोग किया जाता है 


जब हम वेब ब्राउज़र के web address बार में  कोई सवाल लिख कर सर्च  करते है तो यह  Software (web browser download )  हमें अनगिनत हमारे द्वारा ढूंढे गए जानकारी को हमारे device screen पर दिखा देता है उसके बाद वो जानकरी हमें मिल जाती है |

web browser हर device में इनस्टॉल रहता है जब हमारा कंप्यूटर इन्टरनेट से जुड़ता है तब यह वेब ब्राउज़र काम करना शुरू करता है internet और  browser एक-दुसरे से जुड़े हुए है बिना इन्टरनेट के न तो हम web browser का इस्तेमाल  कर सकते है और नाहीं बिना  web  browser के हमारे इन्टरनेट  किसी काम नही आ सकता है |



web browser का इतिहास जाने इसकी पूरी जानकरी 

साल  1990 में Tim berners Lee ने एक  कंप्यूटर से दुसरे कंप्यूटर पर   इनफार्मेशन प्राप्त करने के लिए काम  कर रहे थे तब  Tim berners Lee ने इसको हाइपर लिंक के जरिये इसको आसान कर दिया |

हाइपर लिंक एक html language की एक कमांड होती है जिसका इस्तेमाल web pages में लिखे हुए टेक्स्ट में  किया जाता है 

हाइपर लिंक टेक्स्ट का वह भाग होता है जिसमे अन्य किसी  पेज का पता/लिंक  दिया रहता है  जब हम उस लिंक पर क्लिक करेंगे  तो हम दुसरे वेब पेज पर चले  जाते है | 



टीम बर्नर्स ली ने informtion को दुसरे कंप्यूटर पर पाने के लिए HTML का निर्माण किया था  html को एक खास कमांड में लिखा जाता है जो दुसरे programing languages से काफी आसान और अलग होती  है 


html में स्पेशल कमांड को html tag में लिखा जाता है और टैग को पेयर में लिखा जाता है और उन दोनों पेयर टैग के बिच में कंटेंट को लिख  कर web pages को डिजाइन किया जाता है |


लेकिन अब समस्या ये थी  की इन सभी टैग को हर कोई नहीं समझ  पाता था इसलिए इन सबका हल  निकालने के लिए एक ऐसे  सॉफ्टवेर का निर्माण किया गया जिसे  इन HTML टैग को पढ़ कर ट्रांसलेट करके आसानी से यूजर के सामने  योग्य भाषा में Information को दिखा सके इस सॉफ्टवेर को  "Browser"  का नाम दिया गया जिसे "web browser" कहा जाता है |

दुनिया के पहले वेब ब्राउज़र का नाम  worl wide web  था जिसे बाद में बदल कर Nexus कर दिया गया था |




1993 में mosaic नाम का एक ब्राउज़र को marc andreesseen और उनकी टीम द्वारा बनाया गया था |

यह उस समय का पहला ऐसा ब्राउज़र था जो text और images को एक साथ दिखाने में सक्षम था इस फीचर से यह वेब ब्राउज़र दुनिया भर में लोकप्रिय बन गया |


उसके बाद फिर से  marc andreesseen ने  mosaic पर आधारित स्वयं से  एक और वेब ब्राउज़र बनाया था जिसका नाम उन्होंने Netscape navigetor रखा   फिर उसके बाद यह दुनिया  भर के लोगो के कंप्यूटर पर आ गया था |


साल 1995 में  Netscape navigetor को टक्कर देने के लिए microsoft comapny ने internet explorer के  नाम का एक  वेब ब्राउज़र को लौंच किया था  जो windows 95 oprating system के साथ मुफ्त में  उपलव्ध करवाया गया था |


मुफ्त  में internet explorer इन्टरनेट यूजर को सुविधा मिल रही थी  इसलिए यूजर ने  Netscape navigetor   को  पैसे देकर इस्तेमाल  करने की  किसी ने भी भूल नहीं की यही कारण है  की Netscape navigetor web browser की दुनिया से  हट गया |


इसके बाद धीरे धीरे कई सारे नए -नए  फीचर के साथ web browser  बनाए गए जैसे  : -


  • Google chrome
  • opera mini
  • internet explorer
  • Mozilla firefox
  • safari और UC browser  इत्यादि | 


इन सभी web browser ने अपनी एक ख़ास जगह बनायीं है इन web browser में छोटे छोटे अंतर है लेकिन सभी का काम इन्टरनेट सफरिंग करना ही है |

एक Computer और मोबाइल device में एक से ज्यादा वेब ब्राउज़र को use किया जा सकता है |


 How web browser works | बेव ब्राउज़र काम कैसे करता है 

web browser client  server model पर काम करता है जब हम internet में  कोई जानकरी सर्च करते है तब वेब ब्राउज़र  हमारे सर्च किये गए जानकारी की वेब साईट की लिस्ट जारी  करता है तब यूजर उसमे से किसी एक वेबसाइट पर जाकर क्लिक करता है |



तब ब्राउज़र उस server से contect करता  है requested फाइल को लाकर युजर की device screen के  सामने दिखा देता है जहाँ user का device एक क्लाइंट के रूप में काम करता है 
और वही वेबसाइट एक server के रूप में काम करता है जो जाकारी पहुचाने में मदद करता है |

web browser  इन सभी तरह के डाटा और इनफार्मेशन को यूजर के screen तक लाने में  काम  करता है यह सभी डाटा कंप्यूटर की  Language में लिखा जाता है जिसे कंप्यूटर की language में HTML  कहा जाता है |

क्योकि html language , web browser को आसानी से समझ में आती है और इन languages को ट्रांसलेट कर user के सामने रख देता है ताकि internet user आसानी से कंटेंट को पढ़ सके |




internet से डाटा को लेने  के लिए अलग-अलग नियमो (ruls )का पालन करना पड़ता है इन ruls को protocol कहा जाता है 

html में http ( hyper text transfer protocol ) का इस्तेमाल किया जाता है जो ब्राउज़र को server के साथ कम्यूनिकेट(communicate)  करने में सहायक होते है 




http वेब ब्राउज़र को बताता है की कैसे web pages  को  फोर्मेट कर यूजर तक पहुचाना है http की मदद से क्लाइंट और सर्वर को एक - दुसरे से अनुमति मिलती है |

इन्टरनेट पर जितने भी वेब ब्राउज़र है जो website और web pages को अपने पास रखते है वो  सभी http प्रोटोकॉल को सपोर्ट [ support ] करते है तभी ब्राउज़र उनसे जुड़ कर सारी जानकरी users को दे पाते  है |


for exmaple :-

जब कोई यूजर browser window के address bar पर जाकर एक web address डालता है जैसे www.facebook.com तब सबसे पहले browser  DNS [Domain Name Server] से  interact करता है |

यहाँ दिए गए उदहारण में Domain Name facebook.com है DNS Server में domain name का IP address रहता है  IP Address एक web page का address है |





जहाँ request किये गए web pages  store होते रहते है DNS Server  वेब ब्राउज़र को यह   IP address देता है उसके बाद ब्राउज़र वेब server को भेज देता है |

address देने के बाद ब्राउज़र उस वेब server के साथ जुड़ जाता है जहाँ  फेसबुक का सारा डाटा मौजूद रहता है वहा से ब्राउज़र requested web pages को निकाल कर users  के screen पर सारी जानकरी दिखा देता है और इस तरह एक यूजर  को complete  जानकरी  मिल जाती है |  


So I hope  आपको यह जानकरी जानकर जच्छी लगी होगी अगर हमारी यह जानकरी अच्छी लगी तो हमारे JeeIndia24  को Follow करना न भूले ताकि ऐसी informative जानकारी  आपको मिलती रहे  और साथ ही हमारे पेज को शेयर करना न भूले   हमारे फेसबुक पेज को follow करे | 
धन्यावाद..!
 


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