परमार्थ क्या है?
आप इस संसार में ऐसे अनेक लोगों को जानते होंगे जिन्हें आप मतलबी कहते, जो आवश्यकता पड़ने पर ही आपको याद करते हैं
और आपसे मदद मांगते हैं और आपको बहुत क्रोध आता हैं की हम उनकी मदद न करे लेकिन स्मरण रखिए की मनुष्य को दीपक की जरूरत तभी पड़ती हैं
, जब उसके सामने अंधेरा छा जाता हैं तो उन्हें मतलबी मानकर स्वयं व्यकुल न हो अपने आप को दीपक मानकर आनन्दित हो और अपने आप को भाग्यवान समझे की इस संसार में आप किसी के मदद करने योग्य हैं,
तो किसी को मतलबी मानकर स्वयं का दृष्टिकोण न बदले बस दृष्टि रखिए स्वयं के परमार्थ पर |
अपने मार्ग पर कैसे पहुंचे
मनुष्य का स्वभाव हैं सोचना सोच विचार कर निर्णय लेना और निर्णय लेकर इस दुनिया को बदलने की सोच के साथ आगे बढ़ना, लेकिन क्या हर कोई अपने निर्णय का परिणाम पाने में सफल होता हैं? क्यो कुछ लोग इस को बदल पाते हैं? और क्यो नही?
इसका कारण है 'भय' और यह ही अंतर होता हैं सफल और असफल लोगो में सफल वो होते हैं
जो अपने से अपने इस संसार को बदल देते हैं और असफल वो होते है जो इस संसार के भय से अपने सोच को अपने निर्णय बदल लेते है, इसलिए इस संसार मे कुछ बदलना चाहते हो तो अपने मार्ग तक पहुचने का अपना मार्ग बदलो अपनी सोच अपने निर्णय नहीं।